tag:blogger.com,1999:blog-5391856320101045208.post4792130163105714716..comments2023-10-31T21:22:26.778+05:30Comments on पंखुड़ियाँ: दीये : लघुकथाअर्चना तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/04130609634674211033noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5391856320101045208.post-78003940125879560402015-10-29T19:48:22.747+05:302015-10-29T19:48:22.747+05:30दीये अब करीम की आँखों में भी जल उठे थे.. सच गरीब क...दीये अब करीम की आँखों में भी जल उठे थे.. सच गरीब का ईमान उसकी सबसे बड़ी दौलत है, जो लालची ठेकेदार जैसे लोग कभी नहीं समझ पाते हैं ...<br />मर्मस्पर्शी प्रस्तुति हेतु धन्यवाद! कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5391856320101045208.post-8372061862393603212015-10-29T17:46:28.500+05:302015-10-29T17:46:28.500+05:30आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (30.10.2015...<br />आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (30.10.2015) को <a href="http://charchamanch.blogspot.ae/" rel="nofollow"> "आलस्य और सफलता "(चर्चा अंक-2145) </a> पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।<br /> हार्दिक शुभकामनाओं के साथ, सादर...!Rajendra kumarhttps://www.blogger.com/profile/00010996779605572611noreply@blogger.com