नव वर्ष का नया सवेरा आया
संग अपने नयी खुशियाँ लाया
सूरज की किरने पड़ीं हर कोने
दिशाओं ने रुपहले चूनर ओढ़े
धरती ने ली गहरी अंगड़ाई
हवाओं ने मस्त ख़ुशबू बिखराई
नव कोपलों से बलखाती शाखों के तन
गुंजित हो उठे पंछियों के कलरव से वन
चहक रहा मन महक रहा मन
नए विहान का जब हुआ आगमन
आओ ऐसा प्रण एक करें अब हम
सदा दूसरों के दूर करें सब ग़म
अपने सब लक्ष्य पूर्ण करेंगे
नफरत, बैर भाव को दूर करेंगे
आओ जोड़ें अमन-चैन-प्रेम के बंधन
धरा को बनाएँ खुशहाली का आँगन