गुरुवार, 3 अप्रैल 2008


कहती हैं लम्बी सूनसान राहें
हर पल राहों पे आते-जाते
दिखाती हूँ भटकते मुसाफिरों को मंजिल का
रास्ता
करके
खुद की गुमराह राहें
कहती हैं लम्बी .....
साथ देती हूँ राही का हर मोड़ पे पर
वो भूल जातें हैं खुद की मंजिलों को पा के
कहती हैं लम्बी.....
शिकवा नहीं है किसी से ना कोई गिला है
पर क्या कोई चलेगा ता उम्र साथ उसके
कहती हैं लम्बी......................