रविवार, 16 अगस्त 2009

तू अजब वसुंधरा है



नई नवेली तू अजब वसुंधरा है
तेरे रूप में सौंदर्य बिखरा पड़ा है

माथे पे सूरज की बिंदिया सजाली
गालों पर उषा की लाली लगाली
नीला आसमानी आँचल उड़ा है
तेरे रूप में सौंदर्य बिखरा पड़ा है


पंछियों के कलरव सी पायल है बोली
चली कहाँ तू सुन्दर सलोनी
घाघरे में धानी रत्नाकर उमड़ा पड़ा है
तेरे रूप में सौंदर्य बिखरा पड़ा है


काले घुंघराले केशों सी फैली
है रजनी
नाजुक कमर पे नदियों की
है करधनी
कंगन में चाँद तारों का नगीना जड़ा है
तेरे रूप में सौंदर्य बिखरा पड़ा है




(चित्र गूगल सर्च से साभार )