शुक्रवार, 27 अगस्त 2010

प्रथम उड़ान






एक गौरैया नन्ही सी
नीड़ से निकली पहली बार
नील गगन को छूने की
चाह ह्रदय में लेकर आज
फुदक रही है डाली-डाली
पंख फैलाए पहली बार

एक गौरैया नन्ही सी
नीड़ से निकली पहली बार

 बलशाली खग नभ में उड़ते 
 तेज चले पवन उनचास
खोल रही दुर्बल-कोमल पर
ह्रदय में लिए भय और आस
देखे गगन विशाल विस्तार

एक गौरैया नन्ही सी
नीड़ से निकली पहली बार

शीर्ष चढ़ी ऊँचे द्रुम के
नभ पर उड़ान भरने आज
कभी गिरते और सँभलते
लगन लिए और दृढ़ विश्वास
उड़ गई नील अम्बर में आज
पंख फैलाए पहली बार

एक गौरैया नन्ही सी
नीड़ से निकली पहली बार



(चित्र गूगल सर्च से साभार)