कहती हैं लम्बी सूनसान राहें
हर पल राहों पे आते-जाते
दिखाती हूँ भटकते मुसाफिरों को मंजिल का रास्ता
करके खुद की गुमराह राहें
कहती हैं लम्बी .....
साथ देती हूँ राही का हर मोड़ पे पर
वो भूल जातें हैं खुद की मंजिलों को पा के
कहती हैं लम्बी.....
शिकवा नहीं है किसी से ना कोई गिला है
पर क्या कोई चलेगा ता उम्र साथ उसके
कहती हैं लम्बी......................
[b] di , you have wonderful sense ...n really the poems u denoted here for the ppls are really appreciable ....thanks a lot
जवाब देंहटाएंबढिया है....... जारी रखें
जवाब देंहटाएंsundar abhivyakti....
जवाब देंहटाएंbahut dino baaad computer ko haath lagya hai archna ji aur sab se pehle aapko padha. samvedna bharpur hai..likhti rahiye main bhi jald hi lotunga apneblog par..
जवाब देंहटाएंdr.ajeet
www.shesh-fir.blogspot.com
--Tagore Said...Ekla Chalo re..
जवाब देंहटाएंaapne ekaakipan par bahut achi rachna likhi hai ..
जवाब देंहटाएंbhavnaao ka sundar mishran hai .
badhai ..
vijay
Pls visit my blog for new poems:
http://poemsofvijay.blogspot.com/
wah....wonderful kavita.appki abhivyakti ka tarika achcha hai jari rhe.....
जवाब देंहटाएंbahut hi achchi rachna hain ye bahut achchi..
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