मास अक्टूबर तिथि दो, सन् उन्नीस सौ चार
मुगलसराय धन्य हुआ, धन्य हुआ संसार
छोटा कद कोमल वचन, अधर मधुर मुस्कान
सत्यनिष्ठा के पुतले, पूरब के वरदान
बलशाली जवान हुए, समृद्ध हुए किसान
जिनपर देश गर्व करे, बिरले वही प्रधान
सरल सहज वेष-भूषा, ऊँचे-ऊँचे काम
मानव श्रेष्ठ प्रकट हुए, लाल बहादुर नाम