रविवार, 19 अप्रैल 2009

अकेलापन....


आकाश ने कहा एक दिन

धरती पे उगे नन्हे पौधे से

गर होता मैं भी धरती पे

तो होता करीब अपनों के

यहाँ रहता हूँ अकेले

तुम खुश किस्मत हो

पौधे ने कहा आकाश से

ग़म करो अपने अकेलेपन पे

जो होतें हैं दूर अपनों से

देते हैं छाया सबको

वो नहीं अकेले इस जहाँ में

होता है सारा जहाँ उनका अपना

1 टिप्पणी:

  1. namaskar sir

    aapki saari rachnaayen padhi .. aap bahut sundar likhte hai .. bhavo ki abhivyakti bahut hi shreshth dhang se hui hai

    is kavita me aapne bahut accha shabdchitr prastut kiya hai ..

    aapko badhai ..

    dhanywad

    vijay

    pls read my new poem :
    http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/05/blog-post_18.html

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