बुधवार, 20 अक्टूबर 2010

जीवन के रंग


आते जाते कितने मौसम
रंग बदलते रहते हरदम
कभी गर्मी के तीखे तेवर
कभी सर्दी की धूप मद्धम
कभी बरखा की झिर-झिर बूँदें
छेड़ रही हों जैसे सरगम

आते जाते कितने मौसम
रंग बदलते रहते हरदम

कभी कठिनाई की आंधी आए 
कभी आशाओं की किरणें चम-चम
कभी दुःख के बादल छाए
कभी खुशियों की बरखा छम-छम
धूप-छाँव, बदली, बरखा
सुख-दुःख, आंसू, खुशियाँ
जाने कितने बदले मौसम
जीवन भी कुछ ऐसा ही है
रूप बदलते इसके हरदम

आते जाते कितने मौसम
रंग बदलते रहते हरदम


(चित्र  गूगल   सर्च  से साभार )