आते जाते कितने मौसम
रंग बदलते रहते हरदम
कभी गर्मी के तीखे तेवर
कभी सर्दी की धूप मद्धम
कभी बरखा की झिर-झिर बूँदें
छेड़ रही हों जैसे सरगम
आते जाते कितने मौसम
रंग बदलते रहते हरदम
कभी कठिनाई की आंधी आए
कभी आशाओं की किरणें चम-चम
कभी दुःख के बादल छाए
कभी खुशियों की बरखा छम-छम
धूप-छाँव, बदली, बरखा
सुख-दुःख, आंसू, खुशियाँ
जाने कितने बदले मौसम
जीवन भी कुछ ऐसा ही है
रूप बदलते इसके हरदम
आते जाते कितने मौसम
रंग बदलते रहते हरदम
(चित्र गूगल सर्च से साभार )
कभी गर्मी के तीखे तेवर
जवाब देंहटाएंकभी सर्दी की धूप मद्धम
कभी बरखा की झिर-झिर बूँदें
छेड़ रही हों जैसे सरगम
सुख दुख की इसी धूप छाँव में जिंदगी चलती रहती है।
कभी कठिनाई की आंधी आए
जवाब देंहटाएंकभी आशाओं की किरणें चम-चम
कभी दुःख के बादल छाए
कभी खुशियों की बरखा छम-छम...
मौसमों के बदलते तेवर को माध्यम बना कर
बहुत अछा सन्देश दिया है आपने
अपनी इस मासूम-सी नज़्म में ....
अभिवादन .
मुझे बहुत अच्छी लगी यह कविता
जवाब देंहटाएंये जीवन भी तो माओसम की तरह है ... रंग बदलता रहता है ... अच्छा लिखा है बहुत ही ...
जवाब देंहटाएंजीवन भी कुछ ऐसा ही है
जवाब देंहटाएंरूप बदलते इसके हरदम
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बहुत सुंदर अर्चना.... बस यही जीवन है....
जीवन मौसम की ही तरह तो है एक मौसम जाता है तो दूसरा आता है लेकिन यहाँ जो बीत गया वो पुनः नहीं आता अंतर बीएस इतना है |
जवाब देंहटाएंबहुत अची रचना .........
बधाई ....
http://nithallekimazlis.blogspot.com/
bahot khoobsurat.
जवाब देंहटाएंजीवन के रंगों को समेटती सुन्दर व सार्थक कविता..बधाई.
जवाब देंहटाएं_________________
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सुंदर रचना के लिए साधुवाद!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंयही जीवन है - सुंदर
जवाब देंहटाएंआते जाते कितने मौसम
जवाब देंहटाएंरंग बदलते रहते हरदम
badalte mausam ko bahut pyare se shabdo me dhala aapne..badhai..:)
आते जाते कितने मौसम
जवाब देंहटाएंरंग बदलते रहते हरदम
badalte mausam ko bahut pyare se shabdo me dhala aapne..badhai..:)
आते जाते कितने मौसम
जवाब देंहटाएंरंग बदलते रहते हरदम
badalte mausam ko bahut pyare se shabdo me dhala aapne..badhai..:)
बहुत खुबसूरत.........शानदार अच्छा लगा पढ़ कर -
जवाब देंहटाएंकभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए- (अरे हाँ भई, सन्डे को भी)
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आदरणीया अर्चना तिवारी जी
जवाब देंहटाएंसादर अभिवादन !
बरखा सुख-दुःख, आंसू, खुशियाँ
जाने कितने बदले मौसम
जीवन भी कुछ ऐसा ही है
रूप बदलते इसके हरदम
आते जाते कितने मौसम
रंग बदलते रहते हरदम
बहुत भावपूर्ण गीत है …
बहुत सुंदर !
आजकल आप कहीं भी नज़र नहीं आ रहीं … मेरे यहां भी नहीं आईं , नई पोस्ट लगाए भी बहुत समय हो गया …
आशा है , सपरिवार स्वस्थ-सकुशल हैं …
हार्दिक शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार