शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2012

पूरब के लाल


मास अक्टूबर तिथि दो, सन् उन्नीस सौ चार
मुगलसराय धन्य हुआ, धन्य हुआ संसार

छोटा कद कोमल वचन, अधर मधुर मुस्कान
सत्यनिष्ठा के पुतले, पूरब के वरदान



बलशाली जवान हुए, समृद्ध हुए किसान
जिनपर देश गर्व करे, बिरले वही प्रधान

सरल सहज वेष-भूषा, ऊँचे-ऊँचे काम
मानव श्रेष्ठ प्रकट हुए, लाल बहादुर नाम


बुधवार, 25 जुलाई 2012

पीपल




पावन पीपल वृक्ष है ,हरियाली सी छाँव
स्वयं खड़ा हो धूप में, सबको 
 देता ठाँव

पात पात में डोलती , चंचलता भर पूर
पवन करे अठखेलियाँ,  करे 
उदासी दूर 

योग साधना के लिए,यह उपयोगी स्थान
पाया गौतम बुद्ध ने, इसके नीचे ज्ञान

रोग व्याधियों में करो, इसका नित्य प्रयोग 
स्वच्छ  करे मस्तिष्क मन, काया बने निरोग

जो पूजन इसका करे,हर ले उसके क्लेश 
बसते इसमें देवता ,ब्रम्हा ,विष्णु ,महेश 

संस्कृत में अश्वत्थ है, इसका दूजा नाम 
इसका रोपण कीजिये, इसमें चारों धाम 

आओ हम मिल कर  करें, इसका रोपण आज
निर्मल हो वातावरण, खुशहाली का राज 


गुरुवार, 12 जुलाई 2012

सावन के दोहे



देखो कैसे झूम के, आई है बरसात 
बूंदों के नूपुर बजें, हर्षित हों दिन रात 

मेघों की गर्जन सुनें, नर्तन करें मयूर
मन को पुलकित कर रही, हरियाली भरपूर      

नक्कारों से गूंजते , ये बादल घनघोर 
चपला चमके बावरी, होकर भाव विभोर 

ताल-तलैये भर गए, बहे नीर की धार 
चंपा के वन खिल गए, फूले हरसिंगार 

सावन में झूले पड़े , रिमझिम पड़े फुहार 
अधरों पर कजली सजे , गाओ  मेघ-मल्हार 

दादुर टेरे धुन  मधुर , झींगुर छेड़े तान 
बरखा की लय में सभी, गाते सुमधुर गान 

आसमान में भर गए, इन्द्रधनुष के  रंग 
ऐसे उड़ते  मेघ दल, मानों उड़े पतंग 

मंदिर मंदिर से  उठी, शिव की जय जयकार 
नर-नारी अर्पित करें, बेल, भंग, मंदार