आज शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 107वीं जयंती है | इनका जन्म सन् 28 सितम्बर 1907 में गाँव बंगा, जिला लायलपुर, पंजाब (अब पाकिस्तान) में हुआ था| पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था।
अमृतसर में 13 अप्रैल, 1919 को हुए जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड ने भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था। उस समय भगत सिंह करीब 12 वर्ष के थे जब जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ था। इसकी सूचना मिलते ही भगत सिंह अपने स्कूल से 12 मील पैदल चलकर जलियाँवाला बाग पहुँच गये। एक साधारण से परिवार में जन्म लेने वाले इस सपूत में असाधारण और दिव्य क्षमता थी | जब तक जिए, ब्रिटिश सरकार के छक्के छुड़ा दिए |
भगत सिंह द्वारा व्यक्त विचारों और कार्यों की प्रासंगकिता आज भी बनी हुई है। भगत सिंह के विचार हिंसावादी न होकर बल्कि परिवर्तन पर आधारित थे | हमारी युवा पीढ़ी को भगत सिंह के जीवन और चरित्र से प्रेरणा लेनी चाहिए | आज के युवकों को अपने जीवन को भगत सिंह के जीवन से तुलना करनी चाहिए | 23 वर्ष की उम्र में इस भारत माँ के सपूत ने वह कर दिखाया जिसकी आज कल्पना भी नहीं की जा सकती |
देश का भविष्य सुनहरा हो या काला ये युवा पीढ़ी ही के द्वारा तय होता है | युवकों में जो भटकाव है उससे तो देश क्या खुद उनका भविष्य अंधकूप में चला जायेगा | पैसे कमाने की अंधी दौड़ ने युवकों को अपने कर्तव्यों से विमुख कर दिया है | यह विचार की बात है यदि भगत सिंह और उन जैसे अनेकों युवाओं ने देश की न सोच अपनी तिजोरी की सोची होती तो क्या होता ?
कमाले बुज़दिली है अपनी ही आंखों में पस्त होना,
गर ज़रा सी जूरत हो तो क्या कुछ हो नहीं सकता।
उभरने ही नहीं देती यह बेमाइगियां दिल की,
नहीं तो कौन सा कतरा है, जो दरिया हो नहीं सकता।
~~ भगत सिंह ~~
वीरता और साहस का पर्याय कहे जाने वाले भगत सिंह हमारे दिलों में सदैव से हैं बस आवश्यकता है उनके विचारों को रगों में दौड़ाने की, एक इंकलाब की |