"मम्मा! मेरा ब्रेकफ़ास्ट दो ना प्लीज़!"
"बेटा टेबल पर लगा है!"
"एलेक्सा! प्ले डांस म्यूजिक!"
'ओके...नाच मेरी जान, फटा-फट फट...'
"अपर्णा, सुनती हो, एक कप और गरमागरम चाय मिल जाती तो मज़ा आ जाता!"
"आपकी चाय टेबल पर पहले से रख दी है!"
"एलेक्सा! ओपेन टुडेज़ न्यूज़!"
'ओके...आज पूरे देश में नवरात्र पवित्रता के साथ मनाया जा रहा है...गैंगरेप के बाद उन्होंने उस लड़की को जला दिया..'
"बहू, मेरे लिए अदरक-तुलसी का काढ़ा बनाया या नहीं, आज दुर्गा सप्तशती का पाठ लंबा चलेगा!"
"माँ जी, आपका काढ़ा सामने तिपाई पर रखा है, देखिए!"
"एलेक्सा! प्ले भक्ति संगीत!"
'ओके...या देवी सर्वभूतेषु दुर्गा रूपेण संस्थिता...'
"मम्मा तौलिया!"
"सुनों, मेरी टाई नहीं मिल रही!"
"बहू, दीपक के लिए घी देना!"
"मम्मा?"
"अपर्णा?"
"बहू?"
"एलेक्सा?"
"एलेक्सा?"
"एलेक्सा?"
"लगता है सिग्नल नहीं आ रहा है!"
"कैसे आएगा, मैंने पावर स्विचऑफ जो कर दिया है।"
"क्यों दादू?"
"क्यों पापा?"
"क्यों जी?"
"क्यों? जब मेरी बहू सुबह से बिना खाए-पिए तुम लोगों के लिए काम कर सकती है तो तुम्हारी ऐलेक्सा बिना पावर के क्यों नहीं काम कर सकती?
(नवरात्र की शुभकामनाएँ!)
अर्चना तिवारी
मौलिक एवं अप्रकाशित
नवरात्र की शुभकामनाएँ। सुन्दर।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन - सटीक
जवाब देंहटाएं😄😄😄👌👌👌बाबूजी ने सटीक बोला।इस एलेक्षा ने हम मानवियों की महत्ता को घटा-सा दिया है।पर यदि आसपास के लोग सन्वेदशील हो तो बात बन ही जाती है।आखिर मशीन मशीन है भई ! काम करेगी पर मानवीय मूल्यों को कहाँ से लायेगी???
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