विशाल पीपल की छाँव
देती है सबको ठाँव
खड़ा रहता है धूप में
सदा अटल रूप में
सदा रहती है जीवन की लहर
कोमल पत्तियों में ठहर
रहती है शाखों पे उमंग
हवाओं से पाकर तरंग
देती है जीवन की आशा
दूर करके सबकी निराशा
पाते हैं नीचे इसके
ज्ञान ध्यान अंतर्मन
आकाश ने कहा एक दिन
धरती पे उगे नन्हे पौधे से
गर होता मैं भी धरती पे
तो होता करीब अपनों के
यहाँ रहता हूँ अकेले
तुम खुश किस्मत हो
पौधे ने कहा आकाश से
ग़म न करो अपने अकेलेपन पे
जो होतें हैं दूर अपनों से
देते हैं छाया सबको
वो नहीं अकेले इस जहाँ में
होता है सारा जहाँ उनका अपना