गुरुवार, 23 अप्रैल 2009

छाँव


विशाल पीपल की छाँव

देती है सबको ठाँव

खड़ा रहता है धूप में

सदा अटल रूप में

सदा रहती है जीवन की लहर

कोमल पत्तियों में ठहर

रहती है शाखों पे उमंग

हवाओं से पाकर तरंग

देती है जीवन की आशा

दूर करके सबकी निराशा

पाते हैं नीचे इसके

ज्ञान ध्यान अंतर्मन

रविवार, 19 अप्रैल 2009

अकेलापन....


आकाश ने कहा एक दिन

धरती पे उगे नन्हे पौधे से

गर होता मैं भी धरती पे

तो होता करीब अपनों के

यहाँ रहता हूँ अकेले

तुम खुश किस्मत हो

पौधे ने कहा आकाश से

ग़म करो अपने अकेलेपन पे

जो होतें हैं दूर अपनों से

देते हैं छाया सबको

वो नहीं अकेले इस जहाँ में

होता है सारा जहाँ उनका अपना