शुक्रवार, 19 जून 2009

बाल गीत....बीते दिन छुट्टी के अब.....


बीते दिन छुट्टी के अब

खुल गए स्कूल

बीते दिन मस्ती के अब

सुस्ती जाओ भूल




देर से उठना

खूब खेलना

दोस्तों के संग

पार्क में जाना

तितली के संग

दौड़ लगाना

अब तो जाओ भूल


बीते दिन छुट्टी के अब

खुल गए स्कूल



दिन भर घर में

उधम मचाना

भइया के संग

टीवी देखना

पापा के संग

बाजार जाना

अब तो जाओ भूल

बीते दिन छुट्टी के अब

खुल गए स्कूल


जल्दी सोना

जल्दी उठना

भइया के संग

स्कूल जाना

पढ़ना लिखना

होम वर्क करना

अब ना जाना भूल


बीते दिन छुट्टी के अब

खुल गए स्कूल

बीते दिन मस्ती के अब

सुस्ती जाओ भूल


(चित्र गूगल सर्च से साभार )



5 टिप्‍पणियां:

  1. "न जाने किसकी सिफ़ारिश का है सवाब ये फ़न,
    वगरना मैं कहाँ इन रहमतों के क़ाबिल था...!"

    अर्चना जी, नवाज़िश के लिए शुक्रिया.आपके उद्यम बहुत सार्थक हैं.
    मेरे पार भी कुछ बाल-गीत हैं, आप चाहें तो मैं भेज सकता हूँ.स्नेह-भाव
    बनाए रखें.

    जवाब देंहटाएं
  2. "न जाने किसकी सिफ़ारिश का है सवाब ये फ़न,
    वगरना मैं कहाँ इन रहमतों के क़ाबिल था...!"

    अर्चना जी, नवाज़िश के लिए शुक्रिया.आपके उद्यम बहुत सार्थक हैं.
    मेरे पार भी कुछ बाल-गीत हैं, आप चाहें तो मैं भेज सकता हूँ.स्नेह-भाव
    बनाए रखें.

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