मंगलवार, 14 जुलाई 2009
तुलना
खिला फूल मदार का एक
मंदिर में हुई गुलाब से भेंट
बोला मदार गुलाब से नेक
होता तुमसे है अभिषेक
राजा हो या देवता अनेक
माली रखता तुमको सहेज
करें प्रदर्शन अपना प्रेम
प्रेमी युगल हों या दोस्त विशेष
महके चमन तुमसे हर एक
गुलाब तुम हो अति विशेष
नहीं ठिकाना मेरा एक
देते सब मुझको उखाड़ के फ़ेंक
भटकता रहता हूँ पथ पे अनेक
लिए निराशा मन में समेट
हुई न मेरी प्रेम से भेंट
ली गुलाब ने फिर अंगड़ाई
बोला मदार से मेरे भाई
नहीं है जीवन कोई व्यर्थ
जिसका हो न कोई अर्थ
प्रकृति की है रचना जितनी
सबकी है विशेषता अपनी
तुम अपनी पहचान बनाओ
जीवन में कुछ नाम कमाओ
चढ़ते तुम हो उनके शीश
जो हैं सभी ईशों के ईश
तुमसे करते हैं उनका श्रंगार
फूल हो तुम भी विशेष मदार
करो न तुम किसी से तुलना
ढूंढो तुम भी वजूद अपना
जीवन में जिनके सुख होता है
काँटों पे उनको भी चलना होता है
मार्ग चिकने फिसलन लाते हैं
पथरीले मंजिल को पाते हैं
दो न तुम अपने को दोष
भरो जीवन में उमंग और जोश
(इस कविता को मैंने काफ़ी पहले पोस्ट किया था जब मैं चिट्ठा जगत से नही जुड़ी थी तब किसी ने नहीं पढ़ा था )
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जीवन के लिए एक शिक्षा देती रचना
जवाब देंहटाएंjiwan me sabhi ka apana apana mahattva hota hai..
जवाब देंहटाएंhar cheez apane me ek khas hoti hai aur wah jis kaam ke liye prithvi par bheji jati hai use kewal wahin kar sakata hai..
chahe madar ho ya gulab..
bahut hi badhiya rachana!!!
badhayi ho.
जीवन की महत्ता को स्थापित करती -- जीवन का सार रेखांकित करती बहुत खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar hi tulana fulo se fulo ka tulana our isi kram me jindagi ke gud tatwa ko samajha diya
जवाब देंहटाएंatisundar ....kabile tarif
बहुत सुन्दर रचना है ।इस बार इसको ब्लागर जरूर पढेगें ।
जवाब देंहटाएंइतनी सुन्दर रचना उस समय किसी ने नहीं पढ़ी? अच्छा किया फिर से पोस्ट कर दी, बधाई!!
जवाब देंहटाएंकविता के माध्यम से बहुत सुंदर सलाह दी है।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहुत सुन्दर काव्य है
जवाब देंहटाएं---------
विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
गुलाब
जवाब देंहटाएंis kavita aur is shabd ne purani ek KAVITA yaad dila di.
BADHAI
sunder rachana,sahi sab ki apni visheshta hoti hai.
जवाब देंहटाएंहाँ ..! न गुलाब कहता है ,कि , उसे इतना अलग समझा जाय न , कि , उसके तने में उगे उगे अन्य तृण पात या वन्य फूल , कि , उनकी ओर ध्यान दिया जाय ...ये खुराफातें तो मनुष्य कर जाता है ...!
जवाब देंहटाएंआपकी सारी रचनाएँ, एक परिपक्वता ज़ाहिर करती हैं...ये केवल शब्दों का खेल नही है....!
बधाई स्वीकार करें....! वैसे,मै ख़ुद एक अदना-सी व्यक्ती हूँ...आपको बड़े,बड़े गिग्गजों ने बेहतरीन टिप्पणियाँ दी हैं..!
मेरे 'कविता' ब्लॉग पे आपकी टिप्पणी पाती हूँ,तो हमेशा लगता है,मनसे कही बात है...
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बहुत खूबसूरती से बताया है की किसी का जीवन व्यर्थ नहीं है....बस सही रास्ता पाना चाहिए...
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