
आया मस्त मतवाला सावन
फुहारों की रिमझिम
बूंदों की गुनगुन
बरखा के सुर सुनाता मनभावन
आया मस्त मतवाला सावन
झर-झर झरती बूंदों की लड़ियाँ
पुलकित होती फूलों की पंखुडियाँ
उमड़-घुमड़ मेघों की गर्जन
वन-वन गुंजित मयूरों का क्रंदन
भर गए ताल-तलैये उपवन
आया मस्त मतवाला सावन
पड़ती फुहार झूलों पर जब-जब
सजे मेघ-मल्हार होठों पर तब-तब
झूमें तरुओं की शाखें चंचल
छनके पत्तों की पायल छन-छन
करते ता-ता धिन-धिन तरु गन
आया मस्त मतवाला सावन
आसमान के इन्द्रधनुषी रंगों का चोला
धारा ने अपने हरियाले आँचल को खोला
बिखरी बेल-बूटों की मतवाली लताएँ
निखरी हर पत्तों की हरियाली आभाएँ
गदराए हर सिंगार चंपा के उपवन
आया मस्त मतवाला सावन
पड़ती जब वारि की धारें कोमल तन
कण-कण की पुलकावलि करे निर्मल मन
दादुर टर-टर झींगुर तुन- तुन
बरखा की लय में गाए सुमधुर धुन
आया मस्त मतवाला सावन
bahut sundar prastuti...
जवाब देंहटाएंसुन्दर सामयिक रचना
जवाब देंहटाएंsaawan k eaane par saawan ko baat .........bahut hi sundar............badhaaee.
जवाब देंहटाएंlog geet walai feel mili
जवाब देंहटाएंबस अब तो सावन आने को है ,बढ़िया लगी यह रचना ,बधाई .
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना खासकर सावन के मौके पर अच्छी लगी. आपकी रचना की चर्चा मेरे ब्लॉग समयचक्र में . धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सावनी गीत लिखा है आपने। अब अगर बरसात भी सावन वाली हो जाती, तो आपके गीत में रस बढ जाता।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
sundar varnana sawan ka..
जवाब देंहटाएंachcha ahsaas..
badhayi ho!!!
saawan fir se aaya hai ab..
जवाब देंहटाएंisliye ye kavita aaj fir se prasangik ho gayi..
bahut bhavpurn prastutikaran.....dhanyavaad.......