शीत विदा कर धरती झूमी लो वसंत आया
नव सिंगार रूप का प्रकृति सुंदरी ने करवाया
उतार फेंकी धुंधली चादर भोर ने कोहरे की
ओढ़ लिए सुनहले पर सूरज के किरणों की
उमंग लिए धरती की दुल्हन ने ली अंगड़ाई
प्रेम गीत से भ्रमरों ने नव कलियाँ चटकाई
दृग भरे बलखाती आमों की बौराई डालों से
कर दिया पवन को सुवासित अपनी सुगंध से
नव कोपलें देती नन्ही तितलियों सा भान
पीत सरसों के खेत करते ऋतुराज का आवाहन
श्री कृष्ण के कंठ से माँ शारदे का उद्भूत हुआ
माघ शुक्ल पंचमी का दिन अति पावन हुआ
हे माँ ! दूर करो अज्ञानता के सारे तम
शत-शत करते आपको नमन हम सब जन
(चित्र गूगल सर्च से साभार)
हे माँ ! दूर करो अज्ञानता के सारे तम
जवाब देंहटाएंशत-शत करते आपको नमन हम सब जन..
माँ के चरणों में सुंदर प्रार्थना ........ आज के दिननुसार अग्यानत दूर करो .......... आपको बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ ...........
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये ओर बधाई आप सभी को .
जवाब देंहटाएंसटीक चित्रण, सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
सटीक चित्रण, सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये!
वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये !
जवाब देंहटाएं"सरस्वती माता का सबको वरदान मिले,
जवाब देंहटाएंवासंती फूलों-सा सबका मन आज खिले!
खिलकर सब मुस्काएँ, सब सबके मन भाएँ!"
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क्यों हम सब पूजा करते हैं, सरस्वती माता की?
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ"
लगी झूमने खेतों में, कोहरे में भोर हुई!
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संपादक : सरस पायस
उमंग लिए धरती की दुल्हन ने ली अंगड़ाई
जवाब देंहटाएंप्रेम गीत से भ्रमरों ने नव कलियाँ चटकाई
माँ सरस्वती को सादर नमन, आपको कविता के इस सार्थक प्रयास एवं बसंत पंचमी की हार्दिक बधाई तथा शुभकामनाएं कि नव वर्ष में आपकी लेखनी नए आयाम हासिल करे.
वसंतागमन का प्रतीक पर्व हम मना चुके हैं । स्वागत है वसंत !
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना ! आभार ।
सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी की शुभकामनाएँ
yah
जवाब देंहटाएंbanst ka khubsurti se svagt .
bahur sundar rachna .
sunder rachna !!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंhttp://rajdarbaar.blogspot.com/
kya gazzab ka likhti hain aap
जवाब देंहटाएंbasantotsava ki badhai
thanx for a comment
bahut sunder kavita.
जवाब देंहटाएंapko basant panchami ki bahut sari shubhkamnaye.
सुन्दर रचना ! आभार ।
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