बुधवार, 20 जनवरी 2010

वसंत आया


शीत विदा कर धरती झूमी लो वसंत आया
नव सिंगार रूप का प्रकृति सुंदरी ने करवाया

उतार फेंकी धुंधली चादर भोर ने कोहरे की
ओढ़ लिए सुनहले पर सूरज के किरणों की

उमंग लिए धरती की दुल्हन ने ली अंगड़ाई
प्रेम गीत से भ्रमरों ने नव कलियाँ चटकाई

दृग भरे बलखाती आमों की बौराई डालों  से
कर दिया  पवन को सुवासित अपनी सुगंध से

नव कोपलें देती नन्ही तितलियों सा भान
पीत सरसों के खेत करते ऋतुराज का आवाहन

श्री कृष्ण के कंठ से माँ शारदे का उद्भूत हुआ
माघ शुक्ल पंचमी का दिन अति पावन हुआ

हे माँ ! दूर करो अज्ञानता के सारे तम
शत-शत करते आपको नमन हम सब जन


(चित्र गूगल सर्च से साभार)

14 टिप्‍पणियां:

  1. हे माँ ! दूर करो अज्ञानता के सारे तम
    शत-शत करते आपको नमन हम सब जन..

    माँ के चरणों में सुंदर प्रार्थना ........ आज के दिननुसार अग्यानत दूर करो .......... आपको बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ ...........

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  2. बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये ओर बधाई आप सभी को .

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  3. सटीक चित्रण, सुन्दर अभिव्यक्ति।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  4. सटीक चित्रण, सुन्दर अभिव्यक्ति।
    बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये!

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  5. उमंग लिए धरती की दुल्हन ने ली अंगड़ाई
    प्रेम गीत से भ्रमरों ने नव कलियाँ चटकाई
    माँ सरस्वती को सादर नमन, आपको कविता के इस सार्थक प्रयास एवं बसंत पंचमी की हार्दिक बधाई तथा शुभकामनाएं कि नव वर्ष में आपकी लेखनी नए आयाम हासिल करे.

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  6. वसंतागमन का प्रतीक पर्व हम मना चुके हैं । स्वागत है वसंत !

    सुन्दर रचना ! आभार ।

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  7. सुन्दर अभिव्यक्ति।

    बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ

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