रविवार, 26 जनवरी 2014

सरहदें अपनी मिटा कर देखो


सभी देशवासियों को 65वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ |

26 जनवरी का  दिन हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है | आज ही के दिन 64 वर्ष पहले सन् 1950 में  दुनिया की सबसे पुरानी सभ्‍यताओं में से एक,  जो 4,000 से अधिक वर्षों से चली आ रही है,  और जिसने अनेक रीति-रिवाजों और परम्‍पराओं का संगम देखा है, जो दुनिया में  समृद्ध संस्‍कृति और विरासत का परिचायक है, ऐसे हमारे देश भारत ने स्वयं को  अंग्रेजों की दासता की जंजीरों से मुक्त कराकर दुनिया के सबसे विस्तृत संविधान को आत्मसात किया था और एक सम्पूर्ण प्रभुत्व-संपन्न समाजवादी पंथ निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य की स्थापना की थी |  इसी के साथ सबसे पहले डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद ने  भारत के प्रथम राष्‍ट्रपति के रूप में शपथ ली  और  उन्‍होंने राष्‍ट्रीय ध्‍वज फहराकर भारतीय गणतंत्र के ऐतिहासिक जन्‍म की घो‍षणा की थी |

गणतंत्र यानि रिपब्लिक शब्द की उत्पत्ति  लेटिन भाषा के 'रेस पब्लिका' से हुई है,  जिसका अर्थ है “पब्लिक अफेयर्स” | इस तरह से गणतंत्र होने का मूल अर्थ है कि उस देश का शासक अनुवांशिक राजा नहीं बल्कि जनता द्वारा चुना गया प्रतिनिधि होगा | यह ऐसी प्रणाली है जिसमें राष्ट्र के मामलों को सार्वजनिक माना जाता है। यह किसी शासक की निजी संपत्ति नहीं होती है। राष्ट्र का मुखिया वंशानुगत नहीं होता है। उसको प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जनता द्वारा निर्वाचित या नियुक्त किया जाता है।

26 जनवरी का दिन इतिहास में पहले से ही विशेष स्थान रखता था. इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1930 के लाहौर अधिवेशन में पहली बार तिरंगे झंडे को फहराया गया था और प्रतिवर्ष 26 जनवरी का दिन पूर्ण स्वराज दिवसके रूप में मनाए जाने की घोषणा की गई थी | इसीलिए इस दिन को यादगार बनाने के लिए चुना गया और इसी दिन संविधान लागू किया गया |

 किसी भी देश के नागरिक के लिए उसका संविधान उसे जीने और समाज में रहने की आजादी देता है इस तरह गणतंत्र दिवस और संविधान की उपलब्धता महत्वपूर्ण  है |   क्या हमने कभी सोचा ? कि हम जिस स्वतंत्र वातावरण में सांस ले रहे हैं, जिस संविधान ने हमें हमारे मूल अधिकार प्रदान किए, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय के साथ-साथ अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा  और अवसर की समता दिलाई, उसको प्राप्त करने के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेज सरकार की कितनी यातनाएं सहीं, जाने कितनों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया ?  भगत सिंह और उनके साथी  63 दिनों तक भूखे रहे ? लाला लाजपत राय ने सिर पर लाठियां खायीं?  जालियां वाला बाग में अनगिनत लोगों को गोलियों से भून दिया गया ? क्या कभी हमने सोचा कि जब हम सर्दी, गर्मी, बरसात में अपने घरों में सुरक्षित चैन से सो रहे होते हैं उस समय  हमारे वीर सैनिक अपने जान की परवाह किए बिना देश की सीमा की निगरानी कर रहे होते हैं ?

एक बड़ी ही महत्वपूर्ण  घटना आप सभी के साथ बाँटना चाहूंगी –  यह घटना नेहरु जी के देहांत से सम्बंधित है | एक दिन काम करते-करते अचानक उनके सीने में दर्द उठा और उन्होंने अपने डेस्क पर अपना सिर रख लिया | जब उन्हें हटाया गया तो उनकी मृत्यु हो चुकी थी और उनकी  डेस्क पर लिखा था -

The woods are lovely, dark and deep, 
 But I have promises to keep, 
 And miles to go before I sleep, 
 And miles to go before I sleep.

इस कविता के माध्यम से उन्होंने सभी देशवासियों को  संदेश दिया कि हमें अपने जीवन में अंतिम समय तक  निरंतर कर्म करते हुए कर्तव्य के मार्ग पर चलते रहना चाहिए |

हम बहुत भाग्यशाली हैं कि हमने आज़ाद भारत में जन्म लिया | हमें उपने पूर्वजों द्वारा प्रदान किये इस आज़ादी के उपहार को सुरक्षित और सम्मानित रखना होगा | हमें अपने संविधान की नीतियों का पालन करना होगा | देश की प्रभुता, एकता, अखंडता की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहना होगा |  एक अच्छे नागरिक के कर्तव्यों को निभाना  होगा | अपने देश के संसाधनों को बर्बाद होने से बचाना होगा ताकि हमारी आने वाली पीढियां भी उसका उपभोग कर सकें |  तभी सही मायने में हमारा देश एक गणतंत्र राज्य कहलाएगा |   

और मैं अंत में  अपनी एक गज़ल  कहना चाहूंगी –

कर्म को देव बना कर देखो
सत्य के मार्ग पे जा कर देखो

 साथ में होंगे करोड़ों इक दिन
 पाँव तो पहले बढ़ा कर देखो

 सारे इंसान हैं इस दुनिया में 
सरहदें अपनी मिटा कर देखो 

 क्या है नफरत, ये अदावत क्या है
 प्रेम का राग तो गा कर देखो 

 मंजिलें साफ़ नज़र आएंगी
 ज्ञान के दीप जला कर देखो    


 -    जय हिंद
   

1 टिप्पणी:

  1. बेहतरीन प्रस्‍तुति ।


    गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ..
    संजय भास्कर
    http://sanjaybhaskar.blogspot.in

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