आते जाते कितने मौसम
रंग बदलते रहते हरदम
कभी गर्मी के तीखे तेवर
कभी सर्दी की धूप मद्धम
कभी बरखा की झिर-झिर बूँदें
छेड़ रही हों जैसे सरगम
आते जाते कितने मौसम
रंग बदलते रहते हरदम
कभी कठिनाई की आंधी आए
कभी आशाओं की किरणें चम-चम
कभी दुःख के बादल छाए
कभी खुशियों की बरखा छम-छम
धूप-छाँव, बदली, बरखा
सुख-दुःख, आंसू, खुशियाँ
जाने कितने बदले मौसम
जीवन भी कुछ ऐसा ही है
रूप बदलते इसके हरदम
आते जाते कितने मौसम
रंग बदलते रहते हरदम
(चित्र गूगल सर्च से साभार )