शनिवार, 3 अगस्त 2013

मैं तो हूँ इक उड़ता बादल



मैं तो हूँ इक  उड़ता बादल

 चाह मिले तो  बरस जाउँगा

सूखे वन-उपवन  खेतों  को

  हरियाली दे कर  जाऊँगा


कहाँ रहे  वन  हरे-घनेरे

कहाँ रहीं  फलदायी  शाखें

गिरा गई  आंधी पश्चिम की 

 वृक्ष सभी तहज़ीब-अदब  के


 उग आये बेअदबी के सब 

  'ऊँचे' जंगल शुष्क कंकरीले  

 जिनके मन के वातायन को

 अब  मेरी फुहारें रास  नहीं


उनके  ‘मैं’ के सेहराओं की 

सूखीं  नम मस्त  हवाएँ भी

 यह इक सच  है मगर कड़वा

नागफनी के झाड़ों को कब

भायी  सावन की हरियाली

रविवार, 28 जुलाई 2013

हीरे के गढ़ अपने इरादे, सूरज तू नया बना दे

  हीरे के  गढ़  अपने इरादे 
  मंज़िल  है तेरे आगे 
 अँधेरा तेरी चौखट पर  
 रख जाएगा धूप फैला के   

 कल की चिता  जलाकर 
 भूलों की राख उड़ा कर 
 हौसलों की चिंगारी   से 
 इरादों के शोले भड़का कर 

 कर्मों  की मशाल जला  दे 
 संघर्षों को   और हवा दे 
 जिस्म का फौलाद पिघलाकर 
 सूरज तू नया  बना दे 

गुरुवार, 18 जुलाई 2013

जाएगा कहाँ रे तू गरीब भाई आगे कुआँ है पीछे खाई।


बिहार के सारण जिले में एक सरकारी प्राथमिक स्कूल में मध्याहन भोजन खाने के बाद भोजन विषाक्तता के कारण 23 बच्चों की मौत। अब पहले मिड-डे-मील चखेंगे प्रिंसिपल साहब।  निगरानी समिति का गठन होगा। इस खाने को प्रिंसिपल द्वारा चखते हुए कौन देखेगा ??? CCTV  लगेगा क्या ?? प्रिंसिपल साहब के तो खाने पीने का बंदोबस्त हो गया। प्रिंसिपल साहब ही क्यों उनके  जितने नातेदार रिश्तेदार होंगे सभी ये नेक काम करेंगे। आखिर में जब गंगा बह रही है तो प्यासा क्यों मरना। एक और गरीब भ्रष्टाचार  समिति के खाने पीने का बंदोबस्त हो गया  । कुर्सी वाले दाता कितना भला है तू एकदम बोले तो दरिया दिल अपने भाइयों का कितना ख्याल रखता  है। गरीब रोज़-रोज़ खाने के लिए जिए  इससे अच्छा एक दिन में ही.......... भर दे उसका पेट ऐसा की तान के सो जाए।  फिर कभी खाने के लिए मरना  ना पड़े। ऐसा बंदोबस्त की  जाएगा कहाँ रे तू गरीब भाई आगे कुआँ है  पीछे खाई। 



रविवार, 7 जुलाई 2013

खाद्य सुरक्षा योजना


आसानी से भोजन उपलब्ध होने से गरीब लोग हो जाएंगे आलसी
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 फेडरेशन ऑफ कर्नाटक चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रेसीडेंट पी शिवकुमार ने यह बात कही है।
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 शिवकुमार ने कहा कि खाद्य सुरक्षा योजना से सरकारी खर्च में भारी बढ़ोतरी होगी। इस रकम की जरूरत करदाताओं से ही पूरी की जाएगी। बेहतर रोजगार की कमी और मुफ्त राशन वितरण जैसी योजनाओं के कारण गरीबी रेखा के नीचे वाले लोग बेहद कम आय में गुजारा करने के आदी हो जाते हैं।  मुफ्त राशन जैसी योजनाओं के कारण लोगों के आलसी होने से यह स्थिति पैदा होती है। भारत जैसे विकासशील देश में कौशल निर्माण करना बेहद जरूरी है।बेहतर रोजगार की कमी और मुफ्त राशन वितरण जैसी योजनाओं के कारण गरीबी रेखा के नीचे वाले लोग बेहद कम आय में गुजारा करने के आदी हो जाते हैं। 
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ग़रीबों की इतनी चिन्ता अब तो शर्तियाँ देश में ग़रीबी और ग़रीब दोनों अंतर्धान हो जायेंगे। 
एक तरफ सरकार यह तय ही नहीं कर पाई कि  देश में ग़रीब कौन है ? उसने जो ग़रीबी का आधार तय किया उससे तो भारत में कोई गरीब है ही नहीं। 

इन आधुनिक सुखसुविधाओं से युक्त, ऐशो आराम से भरपूर, एयर कंडीशंड घरों में रहने वाले लोगों से पूछा जाए कि आखिरी बार इन लोगों ने कब काम किया ? ग़रीब आलसी हो जाएगा इसकी बड़ी चिंता है। इस देश में ग़रीब बेचारा ऐसा जंतु है जिसकी आड़ में सब ग़रीब हो गए। सरकार  जिसके लिए  भरपूर योजनायें चला रही है। क्या कभी उसने  ये सोचा कि इन योजनाओं के बारे में उन्हें पता भी है ? मैंने अपने यहाँ काम करने वाली से पूछा कि उसका राशन कार्ड बना है तो उसे राशन कार्ड के बारे में जानकारी तक नहीं थी। उसके जैसे ही कितने लोग यहाँ हैंजो जानते ही नहीं कि यह क्या है? और बनता कैसे है? राशन कार्ड बनवाने के लिए स्थाई पता चाहिए। कहाँ से ले आयें ये अपना स्थाई पता जिनको पता भी नहीं कि कल की रात किस भूमि पर बीतेगी। सरकार लोअर इनकम ग्रुप के लोगों के लिए मकान आवंटित कर रही है। लेकिन जिनकी कोई स्थाई इनकम ही नहीं उनका क्या?  सैकड़ों लुभावनी योजनायें चलाई गईं और भविष्य में भी चलाने की योजनायें हैं। पर इसका संज्ञान उन्हें नहीं है जिनके लिए ये बनाई गईं हैं। इन योजनाओं का लाभ तो हमारे देश के उन  बड़े-बड़े उच्च आय वर्ग के "गरीबों" की झोली में चला जाता है। 
हमारे देश में सबसे अधिक ग़रीब बड़े-बड़े अधिकारी और मंत्री हैं, ये इतने ग़रीब हैं कि इन  सारी  योजनाओं का धन भी इनको कम पड़  जाता है। 

शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2012

पूरब के लाल


मास अक्टूबर तिथि दो, सन् उन्नीस सौ चार
मुगलसराय धन्य हुआ, धन्य हुआ संसार

छोटा कद कोमल वचन, अधर मधुर मुस्कान
सत्यनिष्ठा के पुतले, पूरब के वरदान



बलशाली जवान हुए, समृद्ध हुए किसान
जिनपर देश गर्व करे, बिरले वही प्रधान

सरल सहज वेष-भूषा, ऊँचे-ऊँचे काम
मानव श्रेष्ठ प्रकट हुए, लाल बहादुर नाम


बुधवार, 25 जुलाई 2012

पीपल




पावन पीपल वृक्ष है ,हरियाली सी छाँव
स्वयं खड़ा हो धूप में, सबको 
 देता ठाँव

पात पात में डोलती , चंचलता भर पूर
पवन करे अठखेलियाँ,  करे 
उदासी दूर 

योग साधना के लिए,यह उपयोगी स्थान
पाया गौतम बुद्ध ने, इसके नीचे ज्ञान

रोग व्याधियों में करो, इसका नित्य प्रयोग 
स्वच्छ  करे मस्तिष्क मन, काया बने निरोग

जो पूजन इसका करे,हर ले उसके क्लेश 
बसते इसमें देवता ,ब्रम्हा ,विष्णु ,महेश 

संस्कृत में अश्वत्थ है, इसका दूजा नाम 
इसका रोपण कीजिये, इसमें चारों धाम 

आओ हम मिल कर  करें, इसका रोपण आज
निर्मल हो वातावरण, खुशहाली का राज 


गुरुवार, 12 जुलाई 2012

सावन के दोहे



देखो कैसे झूम के, आई है बरसात 
बूंदों के नूपुर बजें, हर्षित हों दिन रात 

मेघों की गर्जन सुनें, नर्तन करें मयूर
मन को पुलकित कर रही, हरियाली भरपूर      

नक्कारों से गूंजते , ये बादल घनघोर 
चपला चमके बावरी, होकर भाव विभोर 

ताल-तलैये भर गए, बहे नीर की धार 
चंपा के वन खिल गए, फूले हरसिंगार 

सावन में झूले पड़े , रिमझिम पड़े फुहार 
अधरों पर कजली सजे , गाओ  मेघ-मल्हार 

दादुर टेरे धुन  मधुर , झींगुर छेड़े तान 
बरखा की लय में सभी, गाते सुमधुर गान 

आसमान में भर गए, इन्द्रधनुष के  रंग 
ऐसे उड़ते  मेघ दल, मानों उड़े पतंग 

मंदिर मंदिर से  उठी, शिव की जय जयकार 
नर-नारी अर्पित करें, बेल, भंग, मंदार